टांडा कलां, विधानसभा सकलडीहा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संघ के शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पूर्ण अनुशासन, एकरूपता और राष्ट्रभक्ति के भाव के साथ भाग लिया। परंपरागत ध्वनि वाद्य, घोष एवं गणवेश में सुसज्जित स्वयंसेवकों की टुकड़ियाँ पूरे क्षेत्र में अनुशासन की मिसाल पेश करती दिखीं।
शस्त्र पूजन भारतीय संस्कृति में शक्ति, आत्मबल और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर शास्त्रीय विधि से शस्त्रों की पूजा कर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि राष्ट्ररक्षा, आत्मसंयम और सामाजिक समरसता के प्रति जागरूकता का संदेश भी था।
यह आयोजन ‘पराक्रम का संगम’ था – जहाँ शक्ति, अनुशासन, संगठन और राष्ट्रनिष्ठा का अद्भुत समावेश देखने को मिला। पथ संचलन ने जनमानस में देशभक्ति, आत्मगौरव और सामाजिक एकता का सशक्त संदेश दिया। संघ के इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि संगठन शक्ति के माध्यम से कैसे एक समरस, सशक्त और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।