कल देर रात अपने पैतृक गांव बबुरी में श्री दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक था, बल्कि गाँव के लोगों को एक साथ जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम था। कवि सम्मेलन में विभिन्न आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिनमें लोकजीवन, सामाजिक मुद्दे और भावनात्मक अभिव्यक्ति का समावेश था।
इस कवि सम्मेलन ने मुझे अपने सांस्कृतिक मूल्यों और विरासत से जुड़ने का एक अद्भुत अवसर प्रदान किया। गाँव की मिट्टी की खुशबू और वहां की जनजीवन की सजीव झलक इस कार्यक्रम के दौरान अनुभव की गई। इस तरह के आयोजनों से न केवल साहित्य का संवर्धन होता है, बल्कि युवा पीढ़ी में साहित्यिक रुचि और चेतना भी जागृत होती है।
श्री दुर्गा पूजा समिति द्वारा इस आयोजन का सफल संचालन दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्र भी सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में पीछे नहीं हैं। ऐसे कार्यक्रम स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों का सिलसिला जारी रहेगा और गाँव की प्रतिभाएँ और अधिक चमकेंगी।