आज अपने पैतृक गाँव वीरनगर (बबुरी) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष समारोह एवं विजयादशमी के पावन अवसर पर आयोजित शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम न केवल एक संगठन के सौ वर्षों की उपलब्धियों का जश्न था, बल्कि समाज में सेवा, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति के मूल्य को पुनः जागृत करने का अवसर भी था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी पर्व हमें निःस्वार्थ सेवा और देशभक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। शस्त्र पूजन की परंपरा, जो विजयादशमी के दिन मनाई जाती है, हमें धर्म और साहस के मार्ग पर दृढ़ता से चलने का संदेश देती है। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार के आयोजनों से गांव के युवाओं में अपने देश और संस्कृति के प्रति गर्व और सम्मान की भावना जागृत होती है। पथ संचलन के माध्यम से एकजुटता और समर्पण की भावना स्पष्ट होती है, जो समाज को मजबूत बनाती है। यह समारोह हमें याद दिलाता है कि प्रत्येक व्यक्ति का योगदान राष्ट्र निर्माण में कितना महत्वपूर्ण होता है और हमें अपने कर्तव्यों को निष्ठा और समर्पण के साथ निभाना चाहिए।