आज जनपद मिर्जापुर स्थित पावन विंध्याचल धाम में त्रिकोण दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ — यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक पहुँचने वाला एक गहन आध्यात्मिक अनुभव भी था। त्रिकोण दर्शन में तीन प्रमुख शक्तिपीठों का दर्शन शामिल होता है: माँ विंध्यवासिनी, माँ अष्टभुजा, और माँ कालीखोह, जो तीनों मिलकर आस्था, शक्ति और साधना का अद्भुत त्रिकोणीय संगम प्रस्तुत करती हैं।
सबसे पहले माँ विंध्यवासिनी के दरबार में दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। माँ की करुणामयी दृष्टि और मंदिर में गूंजते मंत्रों ने मन को अत्यंत शांति प्रदान की। माँ विंध्यवासिनी को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है और उनकी उपस्थिति एक अव्यक्त ऊर्जा का संचार करती है। यहाँ की आभा इतनी प्रबल थी कि लगता था मानो स्वयं देवी अपने भक्तों का आलिंगन कर रही हों।
इसके पश्चात यात्रा हुई माँ अष्टभुजा के पर्वतीय मंदिर की ओर। ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर, जहाँ देवी अष्टभुजा आठ भुजाओं के साथ अपनी दिव्य मुद्रा में विराजमान हैं, साहस और शक्ति का प्रतीक है। चढ़ाई भले ही थोड़ी कठिन हो, परन्तु हर कदम के साथ जो आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, वह अनुभव अवर्णनीय है। यहाँ पहुँचकर मन में एक नया आत्मबल जाग्रत होता है।